Ramdham temple is situated in the village of Sheetalpur, about one kilometer east of Sitakund, about 5 kilometers east of Munger district headquarter. Railway station is 13 KM from Jamalpur and 5 KM from Munger Railway Station.
शीतलपुर ग्राम में प्राचीन समय से बहुत ही अदभुत पिंड रुपी श्री हनुमान जी की स्थापना हुई थी। इन हनुमान जी के प्रति शीतलपुर ग्रामवासियों एवं इलाके के समस्त लोगों का अटूट विश्वास है कि जो भी मनोकामना लेकर आते हैं उनकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है। यह हनुमान जी का प्राचीन और अदभुत मंदिर है। यहीं पर राम-धाम मंदिर का भी निर्माण हुआ है।
श्रीराम-धाम का अतीतकालीन संक्षिप्त इतिहास आज से 100 वर्ष पूर्व वर्तमान राम-धाम स्थल पर एक ठाकुरवाडी़ स्थित थी, जिसकी दीवार ईंट की और छत खपरैल था। तत्कालीन ठाकुरवाडी़ में श्रीराम और महारानी जानकी का पूजन साधु-महात्माओं के द्वारा संपन्न हो रहा था। कालांतर में वह ठाकुरवाडी़ समुचित देखभाल के अभाव में एक खंडहर के रुप में परिणत हो गया। इसी स्थल पर एक सिद्ध मौनी बाबा ने शीतलपुर ग्राम के द्वारा पुन: मंदिर निर्माण का प्रयास किया, परंतु वे सफल नहीं हुए। हमारे शीतलपुर ग्राम के श्री सहदेव सिंह भगत के हृदय में मंदिर निर्माण की भावना बनी रही कि जब महावीर जी की प्रेरणा और कृपा होगी तब यहाँ एक भव्य राम-धाम मंदिर का निर्माण होगा। वे तो काल विशेष में दिवंगत हो गए, परंतु उनकी सुपुत्री नुनूमणि के हृदय में मंदिर निर्माण की आकांक्षा निरंतर सजग रही। क्योंकि संतान में पैतृक संस्कार पाया जाता है।
सौभाग्य से श्रीमति नुनूमणि देवी के पतिदेव श्री नरेश बाबू (माणिकपुर, भागलपुर निवासी) की नौकरी पाश्चात्य देश कानाडा में हो गई। श्रीमती नुनूमणि देवी भी अपने पति के साथ कनाडा में ही सुखद जीवन व्यतीत करने लगी। सुअवसर पाकर धार्मिक संस्कार सम्पन्न नुनूमणि देवी ने अपने आराध्य पतिदेव के समक्ष अपने पिता श्री सहदेव सिंह भगत की स्मृति में मंदिर निर्माण की योजाना उपस्थित की। भगवत कृपा से और महावीर जी की प्रेरणा के फलस्वरुप श्री नरेश बाबू ने अपनी धर्मपत्नी की योजना को सहर्ष स्वीकार कर लिया। इसे धार्मिक पति-पत्नी का स्वर्ण संयोग माना जाए। अब नरेश बाबू के हृदय में भी मंदिर निर्माण की अदम्य भावना उद्वेलित होने लगी।
श्र्द्धेय नरेश बाबू ने शीतलपुर ग्रामवासियों की सहमति प्राप्त कर महावीर स्थान शीतलपुर के तथाकथित स्थान पर ही मंदिर निर्माण कार्य प्रारंभ किया।
राम-धाम शीतलपुर में मंदिर निर्माण हेतु भूमि पूजन का कार्यक्रम दिनांक 01 मार्च 2003 को गोलोकधाम बृजवासन (दिल्ली) के स्वामी श्री गोपालशरण देवाचार्य जी के पुण्य हाथों द्वारा संपन्न कराया गया। उन्होंने खुद राम-धाम परिसर में अपनी उपस्थिति में इस पावन कार्य को समपन्न करवाया और एक धार्मिक संगोष्ठी कर आम जनों में भक्ति-भाव को जगाने का प्रयास किया।
ठाकुरवाडी़ की मूर्ति का प्राण-प्रतिष्ठा स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि जी महाराज भारत माता मंदिर, जबलपुर मध्यप्रदेश के कर कमलों द्वारा दिनांक 14/04/2005 को संपन्न हुआ।
देवाधिदेव महादेव की पावन विग्रह की स्थापना एवं प्राण-प्रतिष्ठा परम पूज्य स्वामी सत्यमित्रानंद गिरिजी महाराज (पूर्व शंकराचार्य) भारत माता मंदिर हरिद्वार के कर कमलों द्वारा दिनांक 09/03/2006 को संपन्न हुआ।
तीर्थायल का भूमि-पूजन स्वामी देवमित्रानंद गिरि जी महाराज (आचार्यदेव) भारत माता मंदिर हरिद्वार के कर कमलों द्वारा दिनांक 02/03/2012 को संपन्न हुआ।
स्व. रोहित सिंह (श्री नरेश सिंह एवं श्रीमति नुनूमणि के पौत्र) धार्मिक ग्रंथालय एवं जगन्नाथ पुस्तकालय का निर्माण सन 2013 में हुआ।
पिता स्व. सहदेव सिंह एवं माता स्व. माया देवी, ग्राम माणिकपुर की पूण्य स्मृति में निर्माण कर्ता श्री रामसागर सिंह सुपुत्र एवं श्रीमति प्रेमदेवी पुत्रवधु एवं नरेश सिंह सुपुत्र एवं श्रीमति नुनूमणि देवी पुत्रवधु